भाव प्रधान सन्देश......
महाभारत का युद्ध रोकने के अंतिम प्रयास हेतू
स्वयं श्री कृष्ण
शांती प्रस्ताव लेकर
ह्स्तीनापुर पहूँचे..
कुटिल शकूनी ने कृष्ण को भोजन पर
आमंत्रित करने की
योजना बनाई..
स्वयं दुर्योधन ने उनको निमंत्रण
दिया..
कृष्ण तो फिर कृष्ण है..
निमंत्रण अस्वीकार कर
दिया
और जा पहूँचे विदूर के घर..
विदुरानी कृष्ण पर
अपार स्नेह रखती थी..
अचानक कृष्ण को देख
भावुक हो गई.
कृष्ण ने जब कहा क़ि
भूख लगी है
तो तुरतं केले ले आई..
और बेसुधी में
गूदा तो फेक देती
और छिलका खिला देती.
माधव भी
बिना कुछ कहे
प्रेम से खाते रहे..
बात फैली..
दुर्योधन जो कृष्ण से बैर भाव रखता था
ताना मारके बोला..
केशव मैने तो छप्पन भोग बनवाये थे
पर आपको तो
छिलके ही पंसद आये..
माधव मुस्करा के बोले
कोई किसी के यहाँ
सिर्फ तीन वजह से खाता है....
1.भाव में
2.अभाव में
3.प्रभाव में
भाव तुझमें है नहीं..
अभाव मुझे है नहीं
और प्रभाव तेरा
मै मानता नहीं.
अब तू ही बता
कैसे तुम्हारा
निमंत्रण स्वीकार करता..
मैं वहीं गया
जहाँ मुझे जाना चाहिये था.
मै भोजन का नहीं
भाव का भूखा हूँ
और हमेशा रहूँगा.
दुर्योधन के पास
कोई जवाब ना था..
🌹जय श्री क्रष्ण
महाभारत का युद्ध रोकने के अंतिम प्रयास हेतू
स्वयं श्री कृष्ण
शांती प्रस्ताव लेकर
ह्स्तीनापुर पहूँचे..
कुटिल शकूनी ने कृष्ण को भोजन पर
आमंत्रित करने की
योजना बनाई..
स्वयं दुर्योधन ने उनको निमंत्रण
दिया..
कृष्ण तो फिर कृष्ण है..
निमंत्रण अस्वीकार कर
दिया
और जा पहूँचे विदूर के घर..
विदुरानी कृष्ण पर
अपार स्नेह रखती थी..
अचानक कृष्ण को देख
भावुक हो गई.
कृष्ण ने जब कहा क़ि
भूख लगी है
तो तुरतं केले ले आई..
और बेसुधी में
गूदा तो फेक देती
और छिलका खिला देती.
माधव भी
बिना कुछ कहे
प्रेम से खाते रहे..
बात फैली..
दुर्योधन जो कृष्ण से बैर भाव रखता था
ताना मारके बोला..
केशव मैने तो छप्पन भोग बनवाये थे
पर आपको तो
छिलके ही पंसद आये..
माधव मुस्करा के बोले
कोई किसी के यहाँ
सिर्फ तीन वजह से खाता है....
1.भाव में
2.अभाव में
3.प्रभाव में
भाव तुझमें है नहीं..
अभाव मुझे है नहीं
और प्रभाव तेरा
मै मानता नहीं.
अब तू ही बता
कैसे तुम्हारा
निमंत्रण स्वीकार करता..
मैं वहीं गया
जहाँ मुझे जाना चाहिये था.
मै भोजन का नहीं
भाव का भूखा हूँ
और हमेशा रहूँगा.
दुर्योधन के पास
कोई जवाब ना था..
🌹जय श्री क्रष्ण