*#हिन्दुओं याद रखना #मोदी,#योगी,और #शाह,इनकी #ईमानदारी पे कभी शक मत करना,,क्योंकि ये कोई नेता नही

Tuesday, 28 November 2017

रोहित सरदाना को जिस तरह से धमकी मील रही हैं हिन्दुओं आने वाले वक्त मे तुम्हारे तरफ से कोइ बोलने वाला नहीं मिलेगा

*हिंदुओ की आराध्य देवी है “माँ दुर्गा”*
*करोडो लोगो  की आस्था है “माँ दुर्गा ”*

*“सेक्सी दुर्गा” नाम से  पुरी की पुरी  फ़िल्म बन गई।*

*100सो करोड़ हिंदूओ को जैसे साँप सुंग गया हो।*

*हिन्दुओ के मुंह से एक आवाज तक नही निकल पाती  है।*

*हिन्दूओ के पतन की ये शरुआत है।*

*दूसरी और रोहित सरदाना ने सिर्फ  प्रश्न किया कि सेक्सी दुर्गा पर फ़िल्म बन सकती है तो सेक्सी फातिमा पर  क्यू नही ?*

*इस बहादुर पत्रकार की इतनी छोटी सी बात पर  अमन और  शांति प्रिय  मजहबी लोग भडक गए। लाखो की संख्या में स्टुडिओ में जाकर स्टुडिओ तोड़ दिया मारपीट की  और  रोहित  सरदानाजी पर कई  F.R.I   भी हो गए   इस पत्रकार को जान से मारने की सेकंडों धमकिया मिलनी  अभी भी जारी  है  इस बहादुर पत्रकार के परिवार के लोगो को भी जान से मार देने की धमकिया लगातार  मिल रही है।*

*अगर ऐसा ही चलता रहा तो अपने धर्म के बारे में बुरा हो रहा हो गा तो भी कोई बोलने की हिम्मत भी नही करेगा।*

*लानत है ऐसे हिन्दुओ पर जो अपने धर्म की अवहेलना होते हुव देखे कर भी अपने मुंह से एक आवाज तक भी निकाल नही पाते  है ।*
*भगवान न करे सरदानाजी और उन के परिवार को कुस हो जाये तो हिन्दू को  तो कुस फर्क नही पड़ेगा ।*

*ऐसे कायर हिन्दू 100 करोड़ हो या 200 करोड़ एक ना एक दिन बकरे की तरह जीने वाले समाज  का पतन निच्छित होता ही है।*

*समाज की प्रतिकार करने की क्षमता चली जाती है वो समजो उस समाज के पतन की शरुआत हो चुकी है।*

*वैसे भी बकरे जैसी प्रजा नष्ट हो ही जाती है।*

*हिंदु जो अपने धर्म को दुनिया का सबसे महान धर्म समजते है उन हिन्दुओ को मेरा एक ही प्रश्न है  हिन्दुओ का धर्म सबसे महान है तो हिन्दुओ के पूरी दुनिया मे सिर्फ दो ही देश क्यु बचे हुवे है ?*

*जब कि शान्ति प्रिय अमन पसंद मजहबी  मुस्लिमलोगो के  दुनिया भर में पूरे 56 देश है।*

*दुनिया मे अच्छे विचारों से नही पर शक्तितीशाली लोगों से चलती है।*

*जिस धर्म के लोग शक्तितीशाली होंगे वे ही दुनिया मे राज करेंगे।*
*कायरो को कुचल दिया जाएगा*
*जो शक्तिती हीन होगा वह मारा जाएगा*
*ये कारण है हिन्दुधर्म के सिकुड़ने का*

*इस घटना से ये तो तय है कि एक दिन ऐसा भी आएगा कि अमन और शान्ति प्रिय मजहबी लोग की जनसंख्या बढ़ जाएंगी तब पूरा देश संविधान से नही  सरिया से ही चलने लगेगा*

*धर्म उसकी हि रक्षा करता है जो धर्म की रक्षा करता है।*

*😓हिन्दू पतन का कारण स्वंय होगा😓*

    *🚩🚩🚩 वन्दे मातरम🚩🚩🚩*


Sunday, 22 October 2017

देश के खिलाफ नारे लगावो और इनाम पावो

जज – तूने भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा लगाया था ?
कैदी – हां
जज – तुमने पकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाया था ?
कैदी – हां
जज – तुमने भारत का झंडा जलाया था ?
कैदी – हां
जज – तुमने पकिस्तान का झंडा लहराया था ?
कैदी – हां
जज – तुमने ऐसा क्यों किया , तुम्हे पता है इसकी सजा क्या है ?
कैदी – जी हां , मैंने ऐसा बहुत सोच समझ के किया है क्यों किया इसके पहले मै गुमनाम इंसान था , छोटी छोटी चीजो के लिए तरसता था लेकिन जब से ऐसा किया तभी से मैं माननीयो की श्रेणी में आ गया राष्ट्रिय पार्टियो के बड़े बड़े नेता मुझसे मिलने के लिए बेचैन है l
उनके दिन भर फोन आ रहे है ,कोई न कोई रोज सुबह शाम मिलने आता है मेरे विचारधारा पर अच्छे अच्छे राजनैतिक विश्लेषक मंथन कर रहे है
वामपंथी पत्रकार हमारी सराहना कर रहे है
मुझ पर प्रिंट मिडिया में लेख लिखे जा रहे है टी वी चैनलों पर मेरे ऊपर बहस चल रही है कल मै छोटी मोटी नौकरी के लिए परेशान था ,आज बड़ी बड़ी पार्टियों से विधायकी सांसदी चुनाव लड़ने के आफर आ रहे है मेरे खाते में पता नहीं कहा से करोडो रूपये आ गए है l
जज – लेकिन यह राष्ट्रद्रोह है ,तुम पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चल सकता है l
कैदी – मै अकेले नहीं हु जज साहब मैने तो सिर्फ नारा लगाया है राजनीतिज्ञों ने ऐसा करके दिखा दिया है किसी ने देश बाँट दिया तो किसी ने सेना पर ही सवाल खड़ा कर दिया तो कोई कश्मीर को पाकिस्तान हिस्सा बताता है तो कोई कश्मीर को भारत के हिस्से से गायब दिखता है l
अगर वे लोग राष्ट्रद्रोही नहीं हुए तो हम कैसे हो गए ?
फिर भी अगर सजा हुई तो मुझे अपने न्यायालय पर पूरा भरोसा है वह मेरे मरने से पहले कोई फैसला नहीं कर सकता और उससे पहले हम विधायक सांसद मंत्री बन चुके होंगे
ये सच्चाई है पढ़ने के बाद सोचना जरूर

Wednesday, 28 June 2017

रामायण का इक सुंदर प्रसंग जब प्रभु श्री राम केवट से मांगी नाव न केवट आना। कहहि तुम्हार मरमु मैं जाना॥ अब प्रश्न यह उठता है कि जन्म जन्मांतर तक तपस्या करने के बाद भी जिनके मर्म को

मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम का परम भक्तकेवट की एक अनसुनी कथा ?
केवट भगवान राम के मर्म को कैसे जानता था?
रामचरितमानस के अयोध्याकाण्ड में संत श्री तुलसीदास जी ने लिखा है -
मांगी नाव न केवट आना।
कहहि तुम्हार मरमु मैं जाना॥
अब प्रश्न यह उठता है कि जन्म जन्मांतर तक तपस्या करने के बाद भी जिनके मर्म को बड़े बड़े ऋषि-मुनि नहीं जान पाते उन्हीं श्री राम के सामने ही केवट कह रहा है कि मैं तुम्हारे मर्म को जानता हूँ।
बड़ी विचित्र बात लगती है यह। पर विद्वान तुलसीदास जी भी मिथ्या बात नहीं लिख सकते। संत तुलसीदास जी को पूर्ण विश्वास था कि केवट न केवल भगवान विष्णु के अवतार श्री रामचन्द्र के मर्म को जानता था वरन् अपनी इस उपलब्धि के विषय में गर्व पूर्वक स्वयं प्रभु श्रीराम के सामने कहने का साहस भी रखता था तभी उन्होंने ऐसा लिखा।
आइये हम भी जानने का प्रयास करें कि आखिर केवट प्रभु श्री रामचन्द्र जी के मर्म को कैसे जानता था।
वो चित्र तो आपने देखा ही होगा जिसमें क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेष शैया पर विश्राम कर रहे हैं और लक्ष्मीजी उनके पैर दबा रही हैं। जरूर देखा होगा। हाँ तो बात ये हुई कि विष्णु जी के एक पैर का अंगूठा शैया के बाहर आ गया और लहरें उससे खिलवाड़ करने लगीं।
क्षीरसागर के एक कछुये ने इस दृश्य को देखा और मन में यह विचार कर कि मैं यदि भगवान विष्णु के अंगूठे को अपनी जिव्ह्या से स्पर्श कर लूँ तो मेरा मोक्ष हो जायेगा उनकी ओर बढ़ा। उसे भगवान विष्णु की ओर आते हुये शेषनाग जी ने देख लिया और कछुये को भगाने के लिये जोर से फुँफकारा। फुँफकार सुन कर कछुवा भाग कर छुप गया। कुछ समय पश्चात् जब शेष जी का ध्यान हट गया तो उसने पुनः प्रयास किया। इस बार लक्ष्मी देवी की दृष्टि उस पर पड़ गई और उन्होंने उसे भगा दिया। इस प्रकार उस कछुवे ने अनेकों प्रयास किये पर शेष जी और लक्ष्मी माता के कारण उसे कभी सफलता नहीं मिली।
यहाँ तक कि सृष्टि की रचना हो गई और सत्युग बीत जाने के बाद त्रेता युग आ गया। इस मध्य उस कछुवे ने अनेक बार अनेक योनियों जन्म लिया और प्रत्येक जन्म में भगवान की प्राप्ति का प्रयत्न करता रहा। अपने तपोबल से उसने दिव्य दृष्टि प्राप्त कर लिया था। उसे पता था कि त्रेता युग में वही क्षीरसागर में शयन करने वाले विष्णु राम का, वही शेष जी लक्ष्मण का और वही लक्ष्मी देवी सीता के रूप में अवतरित होंगे तथा वनवास के समय उन्हें गंगा पार उतरने की आवश्यकता पड़गी। इसीलिये वह भी केवट बन कर वहाँ आ गया था।
एक युग से भी अधिक काल तक तपस्या करने के कारण उसने प्रभु के सारे मर्म जान लिये थे इसीलिये उसने राम से कहा था कि मैं आपका मर्म जानता हूँ। संत श्री तुलसीदास जी भी इस तथ्य को जानते थे इसलिये अपनी चौपाई में केवट के मुख से कहलवाया है कि “कहहि तुम्हार मरमु मैं जाना”।
केवल इतना ही नहीं, इस बार केवट इस अवसर को किसी भी प्रकार हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। उसे याद था कि शेषनाग क्रोध कर के फुँफकारते थे और मैं डर जाता था। अबकी बार वे लक्ष्मण के रूप में मुझ पर अपना बाण भी चला सकते हैं पर इस बार उसने अपने भय को त्याग दिया था, लक्ष्मण के तीर से मर जाना उसे स्वीकार था पर इस अवसर को खो देना नहीं। इसीलिये विद्वान संत श्री तुलसीदास जी ने लिखा है -
पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उरराई चहौं।
मोहि राम राउरि आन दसरथ सपथ सब साची कहौं॥
बरु तीर मारहु लखनु पै जब लगि न पाय पखारिहौं।
तब लगि न तुलसीदास नाथ कृपाल पारु उतारिहौं॥
(हे नाथ! मैं चरणकमल धोकर आप लोगों को नाव पर चढ़ा लूँगा; मैं आपसे उतराई भी नहीं चाहता। हे राम! मुझे आपकी दुहाई और दशरथ जी की सौगंध है, मैं आपसे बिल्कुल सच कह रहा हूँ। भले ही लक्ष्मण जी मुझे तीर मार दें, पर जब तक मैं आपके पैरों को पखार नहीं लूँगा, तब तक हे तुलसीदास के नाथ! हे कृपालु! मैं पार नहीं उतारूँगा।)

तुलसीदास जी आगे और लिखते हैं -
सुनि केवट के बैन प्रेम लपेटे अटपटे।
बिहसे करुनाऐन चितइ जानकी लखन तन॥
केवट के प्रेम से लपेटे हुये अटपटे वचन को सुन कर करुणा के धाम श्री रामचन्द्र जी जानकी जी और लक्ष्मण जी की ओर देख कर हँसे। जैसे वे उनसे पूछ रहे हैं कहो अब क्या करूँ, उस समय तो केवल अँगूठे को स्पर्श करना चाहता था और तुम लोग इसे भगा देते थे पर अब तो यह दोनों पैर माँग रहा है।
केवट बहुत चतुर था। उसने अपने साथ ही साथ अपने परिवार और पितरों को भी मोक्ष प्रदान करवा दिया। तुलसीदास जी लिखते हैं -
पद पखारि जलु पान करि आपु सहित परिवार।
पितर पारु करि प्रभुहि पुनि मुदित गयउ लेइ पार॥
चरणों को धोकर पूरे परिवार सहित उस चरणामृत का पान करके उसी जल से पितरों का तर्पण करके अपने पितरों को भवसागर से पार कर फिर आनन्दपूर्वक प्रभु श्री रामचन्द्र को गंगा के पार ले गया।
जय श्री राम.

Saturday, 10 June 2017

Beti padhavo dahej bachavo वर्तमान ओहदे के हिसाब से देख लीजियेगा फिर वरना हमें कोई मैचिंग रिश्ता देखना होगा।

चौबे जी का लड़का है अशोक, एमएससी पास। नौकरी के लिए चौबे जी निश्चिन्त थे, कहीं न कहीं तो जुगाड़ लग ही जायेगी। ब्याह कर देना चाहिए।

मिश्रा जी की लड़की है ममता, वह भी एमए पहले दर्जे में पास है, मिश्रा जी भी उसकी शादी जल्दी कर देना चाहते हैं।

सयानों से पोस्ट ग्रेजुएट लड़के का भाव पता किया गया। पता चला वैसे तो रेट पांच से छः लाख का चल रहा है, पर बेकार बैठे पोस्ट ग्रेजुएटों का रेट तीन से चार लाख का है।

सयानों ने सौदा साढ़े तीन में तय करा दिया। बात तय हुए अभी एक माह भी नही हुआ था, कि पब्लिक सर्विस कमीशन से पत्र आया कि अशोक का डिप्टी कलक्टर के पद पर चयन हो गया है।

चौबे- साले, नीच, कमीने... हरामजादे हैं कमीशन वाले...!
पत्नि- लड़के की इतनी अच्छी नौकरी लगी है नाराज क्यों होते हैं?

चौबे- अरे सरकार निकम्मी है, मैं तो कहता हूँ इस देश में क्रांति होकर रहेगी... यही पत्र कुछ दिन पहले नहीं भेज सकते थे, डिप्टी कलेक्टर का 40-50 लाख यूँ ही मिल जाता।

पत्नि- तुम्हारी भी अक्ल मारी गई थी, मैं न कहती थी महीने भर रुक जाओ, लेकिन तुम न माने... हुल-हुला कर सम्बन्ध तय कर दिया...
मैं तो कहती हूँ मिश्रा जी को पत्र लिखिये वो समझदार आदमी हैं।

प्रिय मिश्रा जी,
अत्रं कुशलं तत्रास्तु !
आपको प्रसन्नता होगी कि अशोक का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हो गया है। विवाह के मंगल अवसर पर यह मंगल हुआ। इसमें आपकी सुयोग्य पुत्री के भाग्य का भी योगदान है।
आप स्वयं समझदार हैं, नीति व मर्यादा जानते हैं। धर्म पर ही यह पृथ्वी टिकी हुई है। मनुष्य का क्या है, जीता मरता रहता है। पैसा हाथ का मैल है, मनुष्य की प्रतिष्ठा बड़ी चीज है। मनुष्य को कर्तव्य निभाना चाहिए, धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। और फिर हमें तो कुछ चाहिए नहीं, आप जितना भी देंगे अपनी लड़की को ही देंगे।वर्तमान ओहदे के हिसाब से देख लीजियेगा फिर वरना हमें कोई मैचिंग रिश्ता देखना होगा।

मिश्रा परिवार ने पत्र पढ़ा, विचार किया और फिर लिखा-
प्रिय चौबे जी,
आपका पत्र मिला, मैं स्वयं आपको लिखने वाला था। अशोक की सफलता पर हम सब बेहद खुश हैं। आयुष्मान अब डिप्टी कलेक्टर हो गया हैं। अशोक चरित्रवान, मेहनती और सुयोग्य लड़का है। वह अवश्य तरक्की करेगा।
आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि ममता का चयन आईएएस के लिए हो गया है। कलेक्टर बन कर आयुष्मति की यह इच्छा है कि अपने अधीनस्थ कर्मचारी से वह विवाह नहीं करेगी।
मुझे यह सम्बन्ध तोड़कर अपार हर्ष हो रहा है।

*"बेटी पढाओ, दहेज मिटाओ"*😂

*एक रोटी कम खाओ,*
*पर,बेटी जरूर पढ़ाओ*

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Tuesday, 30 May 2017

Go mata ko katne vale kutto dhyan se padh lo वैश्यावृति बंद हुई तो कैसे विरोध जताओगे ? बेटी-बहन को लेकर क्या तुम सड़कों पर आ जाओगे

पहली बार किसी विपक्ष द्वारा अक्षम्य कृत्य करने पर ग़ुस्सा नही, दर्द हो रहा है । केरल कांग्रेस ने केमरा के सामने गाय काटी । इस गुस्से को बेहद गुस्से में  लिखा  है । दोगले धर्मनिरपेक्ष दूर रहे ।

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शर्म, हया और देश धर्म, सब कुछ खूँटी पर टाँग गया ।
आज विपक्ष मर्यादा की,,,, सब सीमाएँ लाँघ गया ।

इतना पापी,, दुष्ट,, धूर्त कोई गंदा भी हो सकता है ?
क्या कोई 'व्यक्ति-विरोध' में इतना अंधा भी हो सकता है ?

मत समझो गाय काटकर, तुमने विजय यात्रा रोकी है ।
कांग्रेसी ताबूत में तुमने,,,, कील आख़िरी ठोकी है ।

अय्याशी की पैदाइश हो, इस धरती पर पाप हो तुम ।
कुर्सी खातिर 'माँ' काटी है, मुगलो के भी बाप हो तुम ।

वैश्यावृति बंद हुई तो,,,, कैसे विरोध जताओगे ?
बेटी-बहन को लेकर क्या तुम सड़कों पर आ जाओगे ?

जो घड़ा पाप का भरा हुआ था, तुमने स्वयं ही फोड़ दिया ।
औरंगजेब और बाबर, ग़जनी सबको पीछे छोड़ दिया ।

देश विरोधी बने हुए हो, कुछ भी ना सोचा तुमने ।
सावरकर के चित्रों को,,,, दीवारों से नौंचा तुमने ।

लहू उबाले मार मारकर,,  उस दिन मेरा खौला था ।
जिस दिन "भगवा आतंकी" संसद में तुमने बोला था ।

शाप लगेगा गौ माता का,,, देश तुम्हें धिक्कारेगा ।
मुरली वाला कृष्ण तुम्हें तड़पा-तड़पाकर मारेगा ।

दो साल के बाद ये जनता सड़कों पर आ जाएगी ।
अबकी बार तुम्हारी चालीस सीटें भी खा जाएगी ।

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Wednesday, 24 May 2017

Hindu yak ho javo Abhi vact hai फेस बुक की फेकू id याँ आप को मुर्ख बना रही है। आप जिससे बात कर रहे आप को ही नहीं मालूम वह कौन है


फेस बुक की फेकू id याँ आप को मुर्ख बना रही है। आप जिससे बात कर रहे आप को ही नहीं मालूम वह कौन है??????

चार मित्र थे 1 सोहराब, 2 सरफराज3 हामिद कुरैशी
4 अहमद
इन चारों ने एक एक fake ID(नकली आई डी) बनाई फेसबुक पे
सोहराब ने अपना नाम लिखा -सुनील यादव,
सरफराज ने नाम लिखा- अमित मिश्रा
हामिद ने नाम लिखा- नागेंद्र कुमार पासवान
और अहमद ने लिखा - सुरेंद्र सिंह

अब सुनील यादव याने सोहराब
पोस्ट डालते हैं की "धर्म के नाम पर ब्राह्मणों ने हमेशा हमारा शोषण किया है कोई देवी देवता नहीं होता हिन्दू धर्म सिर्फ ब्राह्मणों का बकवास है ये सब बीजेपी और आरएसएस वाला है ।"

अब शुरू होता है इस नाटक के बाँकी तीनो किरदार का तमाशा कमेंट बॉक्स में ।

Comment

सुरेंद्र सिंह =अहमद-

ऐ सुनील यादव खबरदार जो हिन्दू धर्म के बारे में कुछ बोला तुम यादव लोग हिन्दू नहीं हो सकता #$%2-4गाली लिख देता है ।

फिर बारी आती है तीसरे नौटंकी वाज की-

नागेंद्र पासवान = हामिद

नमो बुद्धाय
अरे भाई गाली गलौज क्यूँ कर रहे सच्चाई तो कड़वी होती ही है तुमलोग हम दलितों को मंदिर में घुसने नहीं देते हो ये धर्म नहीं पाखण्ड है इससे अच्छा तो इस्लाम है सभी बराबर खरे हो कर नमाज पढ़ते हैं ।

अब तीसरा नौटंकी वाज आता है कमेंट बॉक्स में-

अमित मिश्रा= सरफ़राज़

हाँ हाँ तुमलोग अछूत हो तो क्यूँ घुसने दे मंदिर में??
जाओ इस्लाम ही अपना लो तुम सब मुर्ख हो कौन मुंह लगाये ।

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मित्रों सिर्फ इन चार  की इतनी सी नौटंकी जबकि चारो एक ही समुदाय के हैं -
मात्र इतनी नौटंकी के बाद कई हिन्दू यादव ,राजपूत, ब्राह्मण और दलित सभी तुरंत इस कमेंट बॉक्स में अपनी-अपनी जाती के समर्थन में बिना सोचे-समझे बिना अगले किसी fake id को जाने समझे आपस में एक दूसरे से लड़ने लगते हैं और हमारे जातिवाद का फायदा उठाने वाले वो चारो हमारी मूर्खता पर अट्टहास लगा कर हँसते हैं ।
ईस प्रकार हम आपस में ही तिनके की तरह बिखर रहे और देश के अंदर -बाहर से दुश्मन घात लगा कर बैठा है मौके की तलाश में , और इस प़कार हिन्दूऔ मे आपसी फूट डाल कर लड़ाते हे , धर्म परिवर्तन कराते हे ।
साभार।

विचार करें-

ऐसे लाखों सोहराब और सरफराज दिन रात शोशल मिडिया पर हम सबको तोड़ने और लड़ाने के लिए काम कर रहे हैं ।
हिन्दू लड़कियों के फ्रेंड लिस्ट में घुस कर बबलू, पप्पू डब्लू इत्यादि नाम से दिन रात good morning और good evning कर फूलों से भरे गुलदस्ते का फोटो भेजते रहते हैं ।
ज़िहाद अपने चरम पर है हर स्तर से क्षति पहुंचाने पर कार्य हो रहा है वो भी युद्धस्तर पर ।
कृपया इस संदेश को आगे बढ़ाने की कृपा करें ताकि सभी को हकीकत समझ आये

तिरुवनंतपुरम में समुद्र के पास एक बुजुर्ग भगवद्गीता पढ़ रहे थे तभी एक

...1970 के समय तिरुवनंतपुरम में समुद्र के पास एक बुजुर्ग भगवद्गीता पढ़ रहे थे तभी एक नास्तिक और होनहार नौजवान उनके पास आकर बैठा, उसने उन पर कटाक्ष किया कि लोग भी कितने मूर्ख है विज्ञान के युग मे गीता जैसी ओल्ड फैशन्ड बुक पढ़ रहे है। उसने उन सज्जन से कहा कि आप यदि यही समय विज्ञान को दे देते तो अब तक देश ना जाने कहाँ पहुँच चुका होता, उन सज्जन ने उस नौजवान से परिचय पूछा तो उसने बताया कि वो कोलकाता से है और विज्ञान की पढ़ाई की है अब यहाँ भाभा परमाणु अनुसंधान में अपना कैरियर बनाने आया है।

आगे उसने कहा कि आप भी थोड़ा ध्यान वैज्ञानिक कार्यो में लगाये भगवद्गीता पढ़ते रहने से आप कुछ हासिल नही कर सकोगे। सज्जन मुस्कुराते हुए जाने के लिये उठे, उनका उठना था की 4 सुरक्षाकर्मी वहाँ उनके आसपास आ गए, आगे ड्राइवर ने कार लगा दी जिस पर लाल बत्ती लगी थी। लड़का घबराया और उसने उनसे पूछा आप कौन है??? उन सज्जन ने अपना नाम बताया 'विक्रम साराभाई' जिस भाभा परमाणु अनुसंधान में लड़का अपना कैरियर बनाने आया था उसके अध्यक्ष वही थे। उस समय विक्रम साराभाई के नाम पर 13 अनुसंधान केंद्र थे, साथ ही साराभाई को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने परमाणु योजना का अध्यक्ष भी नियुक्त किया था।

अब शर्मसार होने की बारी लड़के की थी वो साराभाई के चरणों मे रोते हुए गिर पड़ा। तब साराभाई ने बहुत अच्छी बात कही, उन्होंने कहा कि "हर निर्माण के पीछे निर्माणकर्ता अवश्य है। इसलिए फर्क नही पड़ता ये महाभारत है या आज का भारत, ईश्वर को कभी मत भूलो।"

आज नास्तिक गण विज्ञान का नाम लेकर कितना नाच ले मगर इतिहास गवाह है कि विज्ञान ईश्वर को मानने वाले आस्तिकों ने ही रचा है, फिर चाहे वो किसी भी धर्म को मानने वाले क्यो ना हो। ईश्वर सत्य है।

Saturday, 20 May 2017

क्रोध के दो मिनट krodh ke 2 minute

एक युवक ने विवाह के दो साल बाद
परदेस जाकर व्यापार करने की
इच्छा पिता से कही ।
पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती
पत्नी को माँ-बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार
करने चला गया ।
परदेश में मेहनत से बहुत धन कमाया और
वह धनी सेठ बन गया ।
सत्रह वर्ष धन कमाने में बीत गए तो सन्तुष्टि हुई
और वापस घर लौटने की इच्छा हुई ।
पत्नी को पत्र लिखकर आने की सूचना दी
और जहाज में बैठ गया ।
उसे जहाज में एक व्यक्ति मिला जो दुखी
मन से बैठा था ।
सेठ ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो
उसने बताया कि
इस देश में ज्ञान की कोई कद्र नही है ।
मैं यहाँ ज्ञान के सूत्र बेचने आया था पर
कोई लेने को तैयार नहीं है ।
सेठ ने सोचा 'इस देश में मैने बहुत धन कमाया है,
और यह मेरी कर्मभूमि है,
इसका मान रखना चाहिए !'
उसने ज्ञान के सूत्र खरीदने की इच्छा जताई ।
उस व्यक्ति ने कहा-
मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 500 स्वर्ण मुद्राएं है ।
सेठ को सौदा तो महंगा लग रहा था..
लेकिन कर्मभूमि का मान रखने के लिए
500 स्वर्ण मुद्राएं दे दी ।
व्यक्ति ने ज्ञान का पहला सूत्र दिया-
कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट
रूककर सोच लेना ।
सेठ ने सूत्र अपनी किताब में लिख लिया ।

कई दिनों की यात्रा के बाद रात्रि के समय
सेठ अपने नगर को पहुँचा ।
उसने सोचा इतने सालों बाद घर लौटा हूँ तो
क्यों न चुपके से बिना खबर दिए सीधे
पत्नी के पास पहुँच कर उसे आश्चर्य उपहार दूँ ।

घर के द्वारपालों को मौन रहने का इशारा
करके सीधे अपने पत्नी के कक्ष में गया
तो वहाँ का नजारा देखकर उसके पांवों के
नीचे की जमीन खिसक गई ।
पलंग पर उसकी पत्नी के पास एक
युवक सोया हुआ था ।

अत्यंत क्रोध में सोचने लगा कि
मैं परदेस में भी इसकी चिंता करता रहा और
ये यहां अन्य पुरुष के साथ है ।
दोनों को जिन्दा नही छोड़ूगाँ ।
क्रोध में तलवार निकाल ली ।

वार करने ही जा रहा था कि उतने में ही
उसे 500 स्वर्ण मुद्राओं से प्राप्त ज्ञान सूत्र
याद आया-
कि कोई भी कार्य करने से
पहले दो मिनट सोच लेना ।
सोचने के लिए रूका ।
तलवार पीछे खींची तो एक बर्तन से टकरा गई ।

बर्तन गिरा तो पत्नी की नींद खुल गई ।
जैसे ही उसकी नजर अपने पति पर पड़ी
वह ख़ुश हो गई और बोली-
आपके बिना जीवन सूना सूना था ।
इन्तजार में इतने वर्ष कैसे निकाले
यह मैं ही जानती हूँ ।

सेठ तो पलंग पर सोए पुरुष को
देखकर कुपित था ।
पत्नी ने युवक को उठाने के लिए कहा- बेटा जाग ।
तेरे पिता आए हैं ।
युवक उठकर जैसे ही पिता को प्रणाम
करने झुका माथे की पगड़ी गिर गई ।
उसके लम्बे बाल बिखर गए ।

सेठ की पत्नी ने कहा- स्वामी ये आपकी बेटी है ।
पिता के बिना इसके मान को कोई आंच न आए
इसलिए मैंने इसे बचपन से ही पुत्र के समान ही
पालन पोषण और संस्कार दिए हैं ।

यह सुनकर सेठ की आँखों से
अश्रुधारा बह निकली ।
पत्नी और बेटी को गले लगाकर
सोचने लगा कि यदि
आज मैने उस ज्ञानसूत्र को नहीं अपनाया होता
तो जल्दबाजी में कितना अनर्थ हो जाता ।
मेरे ही हाथों मेरा निर्दोष परिवार खत्म हो जाता ।

ज्ञान का यह सूत्र उस दिन तो मुझे महंगा
लग रहा था लेकिन ऐसे सूत्र के लिए तो
500 स्वर्ण मुद्राएं बहुत कम हैं ।
'ज्ञान तो अनमोल है '

इस कहानी का सार यह है कि
जीवन के दो मिनट जो दुःखों से बचाकर
सुख की बरसात कर सकते हैं ।
वे हैं - *'क्रोध के दो मिनट'*

इस कहानी को शेयर जरूर  करें
क्योंकि आपका एक शेयर किसी व्यक्ति को उसके क्रोध पर अंकुश रखने के लिए
प्रेरित कर सकता है ।🙏🌹🙏

Thursday, 11 May 2017

एक माँ कश्मीर मे तैनात फौजी बेटे से

(एक माँ कश्मीर मे तैनात फौजी बेटे से)

फोन किया माँ ने बेटे को तूने नाक कटाई है,
तेरी बहना से सब कहते बुजदिल तेरा भाई है!

ऐसी भी क्या मजबुरी थी ऐसी क्या लाचारी थी,
कुछ कुत्तो की टोली कैसे तुम शेरो पर भारी थी!
वीर शिवा के वंशज थे तुम चाट क्यु ऐसे धुल गए,
हाथो मे हथियार तो थे क्यु उन्हें चलाना भूल गये!
गीदड़ बेटा पैदा कर के मैने कोख लजाई है,
तेरी बहना से सब कहते बुजदिल तेरा भाई है!!
     
(लाचार फौजी अपनी माँ से)

इतना भी कमजोर नही था माँ मेरी मजबुरी थी,
उपर से फरमान यही था चुप्पी बहुत जरूरी थी!
सरकारे ही पिटवाती है हम को इन गद्दारो से,
गोली का आदेश नही है दिल्ली के दरबारो से!
गिन-गिनकर मैं बदले लूँगा कसम ये मैंने खाई है,
तू गुड़िया से कह देना ना बुजदिल तेरा भाई है!!👇🏿


Wednesday, 10 May 2017

भगवान का दोस्त एक सुन्दर प्रसंग

एक बच्चा जला देने वाली गर्मी में नंगे पैर
गुलदस्ते बेच रहा था..
::
लोग उसमे भी मोलभाव कर रहे थे..
::
एक सज्जन को  उसके पैर  देखकर बहुत
दुःख हुआ, सज्जन ने बाज़ार से नया जूता
ख़रीदा और उसे देते हुए कहा :: "बेटा लो,
ये जूता पहन लो..!!"
::
लड़के ने फ़ौरन जूते निकाले
और पहन लिए..
::
उसका चेहरा ख़ुशी से दमक उठा था..
वो उस सज्जन की तरफ़ पल्टा -
और हाथ थाम कर पूछा : "आप भगवान हैं..??
::
"उसने घबरा कर हाथ छुड़ाया और कानों को
हाथ लगा कर कहा ~ "नहीं बेटा, नहीं..
मैं भगवान नहीं..!!"
::
लड़का फिर मुस्कराया और कहा,
तो फिर ज़रूर भगवान के दोस्त होंगे..??
::
क्योंकि मैंने कल रात भगवान से कहा था कि
मुझे नऐ जूते दे दें...
::
वो सज्जन मुस्कुरा दिया और उसके माथे को
प्यार से चूमकर अपने घर की तरफ़ चल पड़ा..!!
::
अब वो सज्जन भी जान चुके थे कि भगवान का
दोस्त होना कोई मुश्किल काम नहीं..!!
खुशियाँ बाटने से मिलती है ~ मंदिर में नहीं..!!
.      *🔴::"जय श्री कृष्ण"::🔴*


Monday, 3 April 2017

Sishupal rupi Parsant papi pushad ne apne twitter pe likha tha अब ये तो पक्का है कि फिर कोई इसको कूटेगा

योगी से नफरत के चलते 2-2 कौड़ी के पत्रकार, सड़क-छाप रोमियो की तुलना बाल कृष्ण और गोपियों से कर रहे हैं।

पापी  भूषण ने फिर हम सब की
धार्मिक भावना पर चोट कर दी !!

देख लेना
फिर कोई इस कुत्ते को कूटेगा !!!!
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Parsant papi pushad ne apne twitter pe likha tha

*"रोमियो ने सिर्फ*
*एक महिला से प्यार किया था,*
*जबकि कृष्ण छेड़खानी करने में मशहूर थे !*
*क्या आदित्यनाथ में इतनी हिम्मत है कि*
*वह चौकसी रखने वाले दल का नाम*
*ऐंटी_कृष्णा_स्क्वॉड रखेंगे ?"*
*----------- शीसुपाल रुपी प्रशांत भूषण*

अब ये तो पक्का है कि
फिर कोई इसको कूटेगा !!!
देख लेना !!!!!

केस तो हम करेगे ही !!!
कुटाई बोनस में !

*जय माँ भारती*
*वंदे मातरम्*
*----- महाकाल*