*#हिन्दुओं याद रखना #मोदी,#योगी,और #शाह,इनकी #ईमानदारी पे कभी शक मत करना,,क्योंकि ये कोई नेता नही

Tuesday, 30 May 2017

Go mata ko katne vale kutto dhyan se padh lo वैश्यावृति बंद हुई तो कैसे विरोध जताओगे ? बेटी-बहन को लेकर क्या तुम सड़कों पर आ जाओगे

पहली बार किसी विपक्ष द्वारा अक्षम्य कृत्य करने पर ग़ुस्सा नही, दर्द हो रहा है । केरल कांग्रेस ने केमरा के सामने गाय काटी । इस गुस्से को बेहद गुस्से में  लिखा  है । दोगले धर्मनिरपेक्ष दूर रहे ।

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शर्म, हया और देश धर्म, सब कुछ खूँटी पर टाँग गया ।
आज विपक्ष मर्यादा की,,,, सब सीमाएँ लाँघ गया ।

इतना पापी,, दुष्ट,, धूर्त कोई गंदा भी हो सकता है ?
क्या कोई 'व्यक्ति-विरोध' में इतना अंधा भी हो सकता है ?

मत समझो गाय काटकर, तुमने विजय यात्रा रोकी है ।
कांग्रेसी ताबूत में तुमने,,,, कील आख़िरी ठोकी है ।

अय्याशी की पैदाइश हो, इस धरती पर पाप हो तुम ।
कुर्सी खातिर 'माँ' काटी है, मुगलो के भी बाप हो तुम ।

वैश्यावृति बंद हुई तो,,,, कैसे विरोध जताओगे ?
बेटी-बहन को लेकर क्या तुम सड़कों पर आ जाओगे ?

जो घड़ा पाप का भरा हुआ था, तुमने स्वयं ही फोड़ दिया ।
औरंगजेब और बाबर, ग़जनी सबको पीछे छोड़ दिया ।

देश विरोधी बने हुए हो, कुछ भी ना सोचा तुमने ।
सावरकर के चित्रों को,,,, दीवारों से नौंचा तुमने ।

लहू उबाले मार मारकर,,  उस दिन मेरा खौला था ।
जिस दिन "भगवा आतंकी" संसद में तुमने बोला था ।

शाप लगेगा गौ माता का,,, देश तुम्हें धिक्कारेगा ।
मुरली वाला कृष्ण तुम्हें तड़पा-तड़पाकर मारेगा ।

दो साल के बाद ये जनता सड़कों पर आ जाएगी ।
अबकी बार तुम्हारी चालीस सीटें भी खा जाएगी ।

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Wednesday, 24 May 2017

Hindu yak ho javo Abhi vact hai फेस बुक की फेकू id याँ आप को मुर्ख बना रही है। आप जिससे बात कर रहे आप को ही नहीं मालूम वह कौन है


फेस बुक की फेकू id याँ आप को मुर्ख बना रही है। आप जिससे बात कर रहे आप को ही नहीं मालूम वह कौन है??????

चार मित्र थे 1 सोहराब, 2 सरफराज3 हामिद कुरैशी
4 अहमद
इन चारों ने एक एक fake ID(नकली आई डी) बनाई फेसबुक पे
सोहराब ने अपना नाम लिखा -सुनील यादव,
सरफराज ने नाम लिखा- अमित मिश्रा
हामिद ने नाम लिखा- नागेंद्र कुमार पासवान
और अहमद ने लिखा - सुरेंद्र सिंह

अब सुनील यादव याने सोहराब
पोस्ट डालते हैं की "धर्म के नाम पर ब्राह्मणों ने हमेशा हमारा शोषण किया है कोई देवी देवता नहीं होता हिन्दू धर्म सिर्फ ब्राह्मणों का बकवास है ये सब बीजेपी और आरएसएस वाला है ।"

अब शुरू होता है इस नाटक के बाँकी तीनो किरदार का तमाशा कमेंट बॉक्स में ।

Comment

सुरेंद्र सिंह =अहमद-

ऐ सुनील यादव खबरदार जो हिन्दू धर्म के बारे में कुछ बोला तुम यादव लोग हिन्दू नहीं हो सकता #$%2-4गाली लिख देता है ।

फिर बारी आती है तीसरे नौटंकी वाज की-

नागेंद्र पासवान = हामिद

नमो बुद्धाय
अरे भाई गाली गलौज क्यूँ कर रहे सच्चाई तो कड़वी होती ही है तुमलोग हम दलितों को मंदिर में घुसने नहीं देते हो ये धर्म नहीं पाखण्ड है इससे अच्छा तो इस्लाम है सभी बराबर खरे हो कर नमाज पढ़ते हैं ।

अब तीसरा नौटंकी वाज आता है कमेंट बॉक्स में-

अमित मिश्रा= सरफ़राज़

हाँ हाँ तुमलोग अछूत हो तो क्यूँ घुसने दे मंदिर में??
जाओ इस्लाम ही अपना लो तुम सब मुर्ख हो कौन मुंह लगाये ।

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मित्रों सिर्फ इन चार  की इतनी सी नौटंकी जबकि चारो एक ही समुदाय के हैं -
मात्र इतनी नौटंकी के बाद कई हिन्दू यादव ,राजपूत, ब्राह्मण और दलित सभी तुरंत इस कमेंट बॉक्स में अपनी-अपनी जाती के समर्थन में बिना सोचे-समझे बिना अगले किसी fake id को जाने समझे आपस में एक दूसरे से लड़ने लगते हैं और हमारे जातिवाद का फायदा उठाने वाले वो चारो हमारी मूर्खता पर अट्टहास लगा कर हँसते हैं ।
ईस प्रकार हम आपस में ही तिनके की तरह बिखर रहे और देश के अंदर -बाहर से दुश्मन घात लगा कर बैठा है मौके की तलाश में , और इस प़कार हिन्दूऔ मे आपसी फूट डाल कर लड़ाते हे , धर्म परिवर्तन कराते हे ।
साभार।

विचार करें-

ऐसे लाखों सोहराब और सरफराज दिन रात शोशल मिडिया पर हम सबको तोड़ने और लड़ाने के लिए काम कर रहे हैं ।
हिन्दू लड़कियों के फ्रेंड लिस्ट में घुस कर बबलू, पप्पू डब्लू इत्यादि नाम से दिन रात good morning और good evning कर फूलों से भरे गुलदस्ते का फोटो भेजते रहते हैं ।
ज़िहाद अपने चरम पर है हर स्तर से क्षति पहुंचाने पर कार्य हो रहा है वो भी युद्धस्तर पर ।
कृपया इस संदेश को आगे बढ़ाने की कृपा करें ताकि सभी को हकीकत समझ आये

तिरुवनंतपुरम में समुद्र के पास एक बुजुर्ग भगवद्गीता पढ़ रहे थे तभी एक

...1970 के समय तिरुवनंतपुरम में समुद्र के पास एक बुजुर्ग भगवद्गीता पढ़ रहे थे तभी एक नास्तिक और होनहार नौजवान उनके पास आकर बैठा, उसने उन पर कटाक्ष किया कि लोग भी कितने मूर्ख है विज्ञान के युग मे गीता जैसी ओल्ड फैशन्ड बुक पढ़ रहे है। उसने उन सज्जन से कहा कि आप यदि यही समय विज्ञान को दे देते तो अब तक देश ना जाने कहाँ पहुँच चुका होता, उन सज्जन ने उस नौजवान से परिचय पूछा तो उसने बताया कि वो कोलकाता से है और विज्ञान की पढ़ाई की है अब यहाँ भाभा परमाणु अनुसंधान में अपना कैरियर बनाने आया है।

आगे उसने कहा कि आप भी थोड़ा ध्यान वैज्ञानिक कार्यो में लगाये भगवद्गीता पढ़ते रहने से आप कुछ हासिल नही कर सकोगे। सज्जन मुस्कुराते हुए जाने के लिये उठे, उनका उठना था की 4 सुरक्षाकर्मी वहाँ उनके आसपास आ गए, आगे ड्राइवर ने कार लगा दी जिस पर लाल बत्ती लगी थी। लड़का घबराया और उसने उनसे पूछा आप कौन है??? उन सज्जन ने अपना नाम बताया 'विक्रम साराभाई' जिस भाभा परमाणु अनुसंधान में लड़का अपना कैरियर बनाने आया था उसके अध्यक्ष वही थे। उस समय विक्रम साराभाई के नाम पर 13 अनुसंधान केंद्र थे, साथ ही साराभाई को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने परमाणु योजना का अध्यक्ष भी नियुक्त किया था।

अब शर्मसार होने की बारी लड़के की थी वो साराभाई के चरणों मे रोते हुए गिर पड़ा। तब साराभाई ने बहुत अच्छी बात कही, उन्होंने कहा कि "हर निर्माण के पीछे निर्माणकर्ता अवश्य है। इसलिए फर्क नही पड़ता ये महाभारत है या आज का भारत, ईश्वर को कभी मत भूलो।"

आज नास्तिक गण विज्ञान का नाम लेकर कितना नाच ले मगर इतिहास गवाह है कि विज्ञान ईश्वर को मानने वाले आस्तिकों ने ही रचा है, फिर चाहे वो किसी भी धर्म को मानने वाले क्यो ना हो। ईश्वर सत्य है।

Saturday, 20 May 2017

क्रोध के दो मिनट krodh ke 2 minute

एक युवक ने विवाह के दो साल बाद
परदेस जाकर व्यापार करने की
इच्छा पिता से कही ।
पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती
पत्नी को माँ-बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार
करने चला गया ।
परदेश में मेहनत से बहुत धन कमाया और
वह धनी सेठ बन गया ।
सत्रह वर्ष धन कमाने में बीत गए तो सन्तुष्टि हुई
और वापस घर लौटने की इच्छा हुई ।
पत्नी को पत्र लिखकर आने की सूचना दी
और जहाज में बैठ गया ।
उसे जहाज में एक व्यक्ति मिला जो दुखी
मन से बैठा था ।
सेठ ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो
उसने बताया कि
इस देश में ज्ञान की कोई कद्र नही है ।
मैं यहाँ ज्ञान के सूत्र बेचने आया था पर
कोई लेने को तैयार नहीं है ।
सेठ ने सोचा 'इस देश में मैने बहुत धन कमाया है,
और यह मेरी कर्मभूमि है,
इसका मान रखना चाहिए !'
उसने ज्ञान के सूत्र खरीदने की इच्छा जताई ।
उस व्यक्ति ने कहा-
मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 500 स्वर्ण मुद्राएं है ।
सेठ को सौदा तो महंगा लग रहा था..
लेकिन कर्मभूमि का मान रखने के लिए
500 स्वर्ण मुद्राएं दे दी ।
व्यक्ति ने ज्ञान का पहला सूत्र दिया-
कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट
रूककर सोच लेना ।
सेठ ने सूत्र अपनी किताब में लिख लिया ।

कई दिनों की यात्रा के बाद रात्रि के समय
सेठ अपने नगर को पहुँचा ।
उसने सोचा इतने सालों बाद घर लौटा हूँ तो
क्यों न चुपके से बिना खबर दिए सीधे
पत्नी के पास पहुँच कर उसे आश्चर्य उपहार दूँ ।

घर के द्वारपालों को मौन रहने का इशारा
करके सीधे अपने पत्नी के कक्ष में गया
तो वहाँ का नजारा देखकर उसके पांवों के
नीचे की जमीन खिसक गई ।
पलंग पर उसकी पत्नी के पास एक
युवक सोया हुआ था ।

अत्यंत क्रोध में सोचने लगा कि
मैं परदेस में भी इसकी चिंता करता रहा और
ये यहां अन्य पुरुष के साथ है ।
दोनों को जिन्दा नही छोड़ूगाँ ।
क्रोध में तलवार निकाल ली ।

वार करने ही जा रहा था कि उतने में ही
उसे 500 स्वर्ण मुद्राओं से प्राप्त ज्ञान सूत्र
याद आया-
कि कोई भी कार्य करने से
पहले दो मिनट सोच लेना ।
सोचने के लिए रूका ।
तलवार पीछे खींची तो एक बर्तन से टकरा गई ।

बर्तन गिरा तो पत्नी की नींद खुल गई ।
जैसे ही उसकी नजर अपने पति पर पड़ी
वह ख़ुश हो गई और बोली-
आपके बिना जीवन सूना सूना था ।
इन्तजार में इतने वर्ष कैसे निकाले
यह मैं ही जानती हूँ ।

सेठ तो पलंग पर सोए पुरुष को
देखकर कुपित था ।
पत्नी ने युवक को उठाने के लिए कहा- बेटा जाग ।
तेरे पिता आए हैं ।
युवक उठकर जैसे ही पिता को प्रणाम
करने झुका माथे की पगड़ी गिर गई ।
उसके लम्बे बाल बिखर गए ।

सेठ की पत्नी ने कहा- स्वामी ये आपकी बेटी है ।
पिता के बिना इसके मान को कोई आंच न आए
इसलिए मैंने इसे बचपन से ही पुत्र के समान ही
पालन पोषण और संस्कार दिए हैं ।

यह सुनकर सेठ की आँखों से
अश्रुधारा बह निकली ।
पत्नी और बेटी को गले लगाकर
सोचने लगा कि यदि
आज मैने उस ज्ञानसूत्र को नहीं अपनाया होता
तो जल्दबाजी में कितना अनर्थ हो जाता ।
मेरे ही हाथों मेरा निर्दोष परिवार खत्म हो जाता ।

ज्ञान का यह सूत्र उस दिन तो मुझे महंगा
लग रहा था लेकिन ऐसे सूत्र के लिए तो
500 स्वर्ण मुद्राएं बहुत कम हैं ।
'ज्ञान तो अनमोल है '

इस कहानी का सार यह है कि
जीवन के दो मिनट जो दुःखों से बचाकर
सुख की बरसात कर सकते हैं ।
वे हैं - *'क्रोध के दो मिनट'*

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प्रेरित कर सकता है ।🙏🌹🙏

Thursday, 11 May 2017

एक माँ कश्मीर मे तैनात फौजी बेटे से

(एक माँ कश्मीर मे तैनात फौजी बेटे से)

फोन किया माँ ने बेटे को तूने नाक कटाई है,
तेरी बहना से सब कहते बुजदिल तेरा भाई है!

ऐसी भी क्या मजबुरी थी ऐसी क्या लाचारी थी,
कुछ कुत्तो की टोली कैसे तुम शेरो पर भारी थी!
वीर शिवा के वंशज थे तुम चाट क्यु ऐसे धुल गए,
हाथो मे हथियार तो थे क्यु उन्हें चलाना भूल गये!
गीदड़ बेटा पैदा कर के मैने कोख लजाई है,
तेरी बहना से सब कहते बुजदिल तेरा भाई है!!
     
(लाचार फौजी अपनी माँ से)

इतना भी कमजोर नही था माँ मेरी मजबुरी थी,
उपर से फरमान यही था चुप्पी बहुत जरूरी थी!
सरकारे ही पिटवाती है हम को इन गद्दारो से,
गोली का आदेश नही है दिल्ली के दरबारो से!
गिन-गिनकर मैं बदले लूँगा कसम ये मैंने खाई है,
तू गुड़िया से कह देना ना बुजदिल तेरा भाई है!!👇🏿


Wednesday, 10 May 2017

भगवान का दोस्त एक सुन्दर प्रसंग

एक बच्चा जला देने वाली गर्मी में नंगे पैर
गुलदस्ते बेच रहा था..
::
लोग उसमे भी मोलभाव कर रहे थे..
::
एक सज्जन को  उसके पैर  देखकर बहुत
दुःख हुआ, सज्जन ने बाज़ार से नया जूता
ख़रीदा और उसे देते हुए कहा :: "बेटा लो,
ये जूता पहन लो..!!"
::
लड़के ने फ़ौरन जूते निकाले
और पहन लिए..
::
उसका चेहरा ख़ुशी से दमक उठा था..
वो उस सज्जन की तरफ़ पल्टा -
और हाथ थाम कर पूछा : "आप भगवान हैं..??
::
"उसने घबरा कर हाथ छुड़ाया और कानों को
हाथ लगा कर कहा ~ "नहीं बेटा, नहीं..
मैं भगवान नहीं..!!"
::
लड़का फिर मुस्कराया और कहा,
तो फिर ज़रूर भगवान के दोस्त होंगे..??
::
क्योंकि मैंने कल रात भगवान से कहा था कि
मुझे नऐ जूते दे दें...
::
वो सज्जन मुस्कुरा दिया और उसके माथे को
प्यार से चूमकर अपने घर की तरफ़ चल पड़ा..!!
::
अब वो सज्जन भी जान चुके थे कि भगवान का
दोस्त होना कोई मुश्किल काम नहीं..!!
खुशियाँ बाटने से मिलती है ~ मंदिर में नहीं..!!
.      *🔴::"जय श्री कृष्ण"::🔴*