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💎अंधे धृतराष्ट्र ने क्यों गंवाए सौ पुत्र- श्रीकृष्ण का उत्तर🌹
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🌷महाभारत युद्ध समाप्त होने पर धृतराष्ट्र ने श्रीकृष्ण से पूछा- मैं अंधा पैदा हुआ, सौ पुत्र मारे गए भगवन मैंने ऐसा कौन सा पाप किया है जिसकी सजा मिल रही है. श्रीकृष्ण ने बताना शुरू किया- पिछले जन्म में आप एक राजा थे. आपके राज्य में एक तपस्वी ब्राह्मण थे. उनके पास हंसों का एक जोड़ा था जिसके चार बच्चे थे.
🌷ब्राह्मण को तीर्थयात्रा पर जाना था लेकिन हंसों की चिंता में वह जा नहीं पा रहे थे. उसने अपनी चिंता एक साधु को बताई. साधु ने कहा- तीर्थ में हंसों को बाधक बताकर हंसों का अगला जन्म खराब क्यों करते हो. राजा प्रजापालक होता है. तुम और तुम्हारे हंस दोनों उसकी प्रजा हो. हंसों को राजा के संरक्षण में रखकर तीर्थ को जाओ.
🌷ब्राह्मण हंस और उसके बच्चे आपके पास रखकर तीर्थ को गए. आपको एक दिन मांस खाने की इच्छा हुई. आपने सोचा सभी जीवों का मांस खाया है पर हंस का मांस नहीं खाया. आपने हंस के दो बच्चे भूनकर खा लिए. आपको हंस के मांस का स्वाद लग गया. हंस के एक-एक कर सौ बच्चे हुए और आप सबको खाते गए.अंततः हंस का जोड़ा मर गया.
🌷कई साल बाद वह ब्राह्मण लौटा और हंसों के बारे में पूछा तो आपने कह दिया कि हंस बीमार होकर मर गए. आपने तीर्थयात्रा पर गए उस व्यक्ति के साथ विश्वासघात किया जिसने आप पर अंधविश्वास किया था. आपने प्रजा की धरोहर में डाका डालकर राजधर्म भी नहीं निभाया.
🌷जिह्वा के लालच में पड़कर हंस के सौ बच्चे भूनकर खाने के पाप से आपके सौ पुत्र हुए जो लालच में पड़कर मारे गए. आप पर आंख मूंदकर भरोसा करने वाले से झूठ बोलने और राजधर्म का पालन नहीं करने के कारण आप अंधे और राजकाज में विफल व्यक्ति हो गए.
🌷श्रीकृष्ण ने कहा- सबसे बड़ा छल होता है विश्वासघात. आप उसी पाप का फल भोग रहे हैं.
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💴💷💰💰एक दिन 'दर्द' ने 'दौलत' से
कहा -:
👍🌺"तुम कितनी खुशनसीब हो
कि हर कोई तुम्हें पाने की
कोशिश करता है और मैं
इतना बदनसीब हूँ कि हर
कोई मुझसे दूर जाने की
कोशिश करता है।"
🌺👍'दौलत' ने बहुत प्यारा
जवाब दिया -:
"खुशनसीब तो तुम हो ,
जिसको पाकर लोग अपनो
को याद करते हैं...
🌺👍बदनसीब तो मैं हूँ जिसको
पा कर लोग अक्सर अपनों
को भूल जाते हैँ"
🙏🌹
: जियो इतना की ज़िंदगी कम पड़ जाए,
हंसो इतना की रोना मुश्किल हो जाए,
किसी चीज़ को पाना तो
क़िस्मत की बात है,
मगर कोशिश इतनी करो की
ईश्वर देने पे मजबूर हो जाए ।।
🌷 "दीपक बोलता नहीं उसका
प्रकाश परिचय देता है ।
ठीक उसी प्रकार...
आप अपने बारे में कुछ न बोले,
अच्छे कर्म करते रहे
वही आपका परिचय देगे।।।
🙏🙏
: कभी उसको नजरअंदाज न करो,
जो तुम्हारी बहुत परवाह करता हो,
वरना किसी दिन तुम्हें एहसास होगा,
के पत्थर जमा करते करते तुमने हीरा गवा दिया...
🌷: मीठा शहद बनाने वाली मधुमक्खी
भी डंख मारने से नहीं चुकती
इसलिए होंशियार रहें…
बहुत मीठा बोलने वाले भी
‘हनी’ नहीं ‘हानि’ दे सकते है
🙏
निर्धन गिरे पहाड़ से कोई ना पूछे हाल..
करोड़पति को कांटा लगे तो पूछे लोग हज़ार !!
🌷: एक कलाकार से दिल के दरवाजे कीतस्वीर बनाने के लिए कहा गया, उसनेबहुत सुन्दर दिल की तस्वीर बनायीऔरउसमे एक छोटा सा खुबसूरतदरवाजा लगाया | मगर उसमे हैंडलनहीं था…किसी ने पूछा भाई इसमेंहैंडल क्यों नहीं लगाया ? कलाकार नेबहुत खुबसूरत और दिल को छूने वाला जवाब दिया की-“दिल के दरवाजे अन्दर से खुलते हैं,बाहर से नहीं”…
💎अंधे धृतराष्ट्र ने क्यों गंवाए सौ पुत्र- श्रीकृष्ण का उत्तर🌹
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🌷महाभारत युद्ध समाप्त होने पर धृतराष्ट्र ने श्रीकृष्ण से पूछा- मैं अंधा पैदा हुआ, सौ पुत्र मारे गए भगवन मैंने ऐसा कौन सा पाप किया है जिसकी सजा मिल रही है. श्रीकृष्ण ने बताना शुरू किया- पिछले जन्म में आप एक राजा थे. आपके राज्य में एक तपस्वी ब्राह्मण थे. उनके पास हंसों का एक जोड़ा था जिसके चार बच्चे थे.
🌷ब्राह्मण को तीर्थयात्रा पर जाना था लेकिन हंसों की चिंता में वह जा नहीं पा रहे थे. उसने अपनी चिंता एक साधु को बताई. साधु ने कहा- तीर्थ में हंसों को बाधक बताकर हंसों का अगला जन्म खराब क्यों करते हो. राजा प्रजापालक होता है. तुम और तुम्हारे हंस दोनों उसकी प्रजा हो. हंसों को राजा के संरक्षण में रखकर तीर्थ को जाओ.
🌷ब्राह्मण हंस और उसके बच्चे आपके पास रखकर तीर्थ को गए. आपको एक दिन मांस खाने की इच्छा हुई. आपने सोचा सभी जीवों का मांस खाया है पर हंस का मांस नहीं खाया. आपने हंस के दो बच्चे भूनकर खा लिए. आपको हंस के मांस का स्वाद लग गया. हंस के एक-एक कर सौ बच्चे हुए और आप सबको खाते गए.अंततः हंस का जोड़ा मर गया.
🌷कई साल बाद वह ब्राह्मण लौटा और हंसों के बारे में पूछा तो आपने कह दिया कि हंस बीमार होकर मर गए. आपने तीर्थयात्रा पर गए उस व्यक्ति के साथ विश्वासघात किया जिसने आप पर अंधविश्वास किया था. आपने प्रजा की धरोहर में डाका डालकर राजधर्म भी नहीं निभाया.
🌷जिह्वा के लालच में पड़कर हंस के सौ बच्चे भूनकर खाने के पाप से आपके सौ पुत्र हुए जो लालच में पड़कर मारे गए. आप पर आंख मूंदकर भरोसा करने वाले से झूठ बोलने और राजधर्म का पालन नहीं करने के कारण आप अंधे और राजकाज में विफल व्यक्ति हो गए.
🌷श्रीकृष्ण ने कहा- सबसे बड़ा छल होता है विश्वासघात. आप उसी पाप का फल भोग रहे हैं.
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💴💷💰💰एक दिन 'दर्द' ने 'दौलत' से
कहा -:
👍🌺"तुम कितनी खुशनसीब हो
कि हर कोई तुम्हें पाने की
कोशिश करता है और मैं
इतना बदनसीब हूँ कि हर
कोई मुझसे दूर जाने की
कोशिश करता है।"
🌺👍'दौलत' ने बहुत प्यारा
जवाब दिया -:
"खुशनसीब तो तुम हो ,
जिसको पाकर लोग अपनो
को याद करते हैं...
🌺👍बदनसीब तो मैं हूँ जिसको
पा कर लोग अक्सर अपनों
को भूल जाते हैँ"
🙏🌹
: जियो इतना की ज़िंदगी कम पड़ जाए,
हंसो इतना की रोना मुश्किल हो जाए,
किसी चीज़ को पाना तो
क़िस्मत की बात है,
मगर कोशिश इतनी करो की
ईश्वर देने पे मजबूर हो जाए ।।
🌷 "दीपक बोलता नहीं उसका
प्रकाश परिचय देता है ।
ठीक उसी प्रकार...
आप अपने बारे में कुछ न बोले,
अच्छे कर्म करते रहे
वही आपका परिचय देगे।।।
🙏🙏
: कभी उसको नजरअंदाज न करो,
जो तुम्हारी बहुत परवाह करता हो,
वरना किसी दिन तुम्हें एहसास होगा,
के पत्थर जमा करते करते तुमने हीरा गवा दिया...
🌷: मीठा शहद बनाने वाली मधुमक्खी
भी डंख मारने से नहीं चुकती
इसलिए होंशियार रहें…
बहुत मीठा बोलने वाले भी
‘हनी’ नहीं ‘हानि’ दे सकते है
🙏
निर्धन गिरे पहाड़ से कोई ना पूछे हाल..
करोड़पति को कांटा लगे तो पूछे लोग हज़ार !!
🌷: एक कलाकार से दिल के दरवाजे कीतस्वीर बनाने के लिए कहा गया, उसनेबहुत सुन्दर दिल की तस्वीर बनायीऔरउसमे एक छोटा सा खुबसूरतदरवाजा लगाया | मगर उसमे हैंडलनहीं था…किसी ने पूछा भाई इसमेंहैंडल क्यों नहीं लगाया ? कलाकार नेबहुत खुबसूरत और दिल को छूने वाला जवाब दिया की-“दिल के दरवाजे अन्दर से खुलते हैं,बाहर से नहीं”…
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