जब भगत सिंह अपने आखिरीक्षणों मे जेल मे थेतो उनकी माँ बिद्यावाती उनसेमिलने गई तो भगतसिंह नेअपनी माँ से पूछा...माँ जब तेरा लाल मौत की गोदी में सो जाएगातब तुम रोओगी तो नहीअपना ऑचल ऑसुओ से भिगोओगी तो नहीतब भगतसिंह की माँ ने कहाँ..देशभक्तों की जननियाँ तोअपने रक्त से गुलामी के दाग धोती है...और राष्ट्रहित पुत्र के बलिदान परसिंहों की माँ नही सियारों की माँ रोती है...और मै तो सिंहो के सिंह की माँ हूँ ...बब्बरसिंह भगतसिंह की माँ हूँ...मै तेरी शहादत पे रोउगी नही ...खुशी से वारी जाऊगी...तू आजादी की दुल्हन लेने जा ...मै शगुन के लड्डू बटवाऊगी...जा बेटे जा ले आ स्वातंत्रता का डोला...मैने अपने हाथों से तेरा रंगा बसंती चोला....जनम जनम के पुण्यों का जब फल देता है बिधाता...तब जाके कोई नारी होती शहीद की माता....और बात आखिरी सुन ले मेरे जिगर के टुकडे....हसते हसते फाँसी चढना मेरे प्यारे पुतडे....और मरते दम तक तन मन तेरा जीवन देश पे मचले....और वन्देमातरम् हो होठों पर जब प्राण तुम्हारे निकले.....वन्देमातरम
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